बुधवार, 28 सितंबर 2022

दर्शनीय स्थल :- टाइगर रिज़र्व जैव विविधता एवं वन्यप्राणियों की प्रचुरता के कारण अपने आप में दर्शनीय स्थल है

अभ्यारण क्षेत्र के भीतर एवं आस पास दर्शनीय स्थलों का विवरण निम्नानुसार है

देवधारा जल प्रपात

टाइगर रिज़र्व क्षेत्र के पूर्वी भाग में उत्तर दिशा में आयी नदी इन्द्रावन नदी पर यह जलप्रपात स्थित है | इसके अविरल स्वच्छ जलधारा तथा प्रपात उपरी व निचले भाग पर स्थित प्राकृतिक जलकुंड पर्यटकों को नयनाभिराम आनंद प्रदान करते हैं | जलकुंडों पर वन्यप्राणियों के दृष्टिगोचर होने की संभावना भी रहती है |

 

Devdhara waterfall

गोडेना जल प्रपात

टाइगर रिज़र्व क्षेत्र के पश्चिमी भाग में स्थित सीढ़ीनुमा एवं प्राकृतिक टाइलनुमा गोडेना जल प्रपात प्राकृतिक सौंदर्य रचना की अद्भुत क्षमता का उदाहरण है | यहाँ मानव को उसकी सृजनशीलता प्रकृति की सृजनशीलता के समक्ष बौनी प्रतीत होती है | इस जल प्रपात तक पहुँचने के लिए लगभग 1/2 कि.मी. पद यात्रा आवश्यक है | ये दोनों ही जलप्रपात तक पहुँच मार्ग दुर्गम होने के कारण बहुत कम एवं अत्यंत उत्साही पर्यटक ही इसका आनंद ले सकते हैं | 

Godena waterfall    

 

चोकसील का पर्वतीय मंदिर

टाइगर रिज़र्व क्षेत्र के नागेश वन्यप्राणी जल स्त्रोत के पास स्थित चोकसील पर्वत पर प्राकृतिक तौर पर निर्मित मंदिरनुमा संरचना एवं गुफाएं संभवत: प्रकृति सृजनशीलता के सम्मुख मानव की कृत्रिम सृजनशीलता के दंभ को चूर-2 कर देते हैं | 

 

सिकासार जलाशय

टाइगर रिज़र्व पहुँच मार्ग पर रायपुर-देवभोग मार्ग से 16 कि.मी. की दूरी पर स्थित सिकासार जलाशय तथा जल विद्धुत उत्पादन केंद्र एवं इसके पास का वनाच्छादित पर्वतीय भू-भाग मानव को प्रतिदिन के भाग-दौड़ भरी एवं मानसिक तनाव की दुनिया से दूर करके अद्भुत शांति प्रदान करते हैं | 

 


कोयबा इको पर्यटन केंद्र

कोयबा को पर्यटक ग्राम बनाया गया है जो कि प्राकृतिक वनों से अच्छादित क्षेत्र के अंदर स्थित है जहाँ वनों की परिकल्पना पूर्व साकार होती है | पर्यटक ग्राम में पर्यटकों के रहने के लिए आवास हेतु 06 कमरों का डुप्लेक्स हट एवं लगभग 25 पर्यटकों के लिए 06 डारमेट्री उपलब्ध हैं| 



 

टांगरीडोंगरी वाच टावर

रिसगांव परिक्षेत्र के कक्ष क्रमांक 297 में यह समुद्र तल से लगभग 2091 फीट ऊँचाई पर स्थित है |यहाँ पर चढ़ने पर इस पर्वत की चोटी से लगभग 20-25 कि.मी. दूरी तक मनोरम दृश्य अनेक पर्वत श्रंखलाएं, जल संरचनाएं, वनस्पति दिखाई पड़ता है | 

 

महानदी उद्गम स्थल

छत्तीसगढ़ प्रदेश की जीवनदायिनी महानदी का उद्गम सिहावा के महेन्द्र गिरी नामक पर्वत से हुआ है | महेन्द्र गिरी पर्वत को महर्षि श्रृंगी ऋषि का तपोस्थल कहा गया है| यहाँ पर श्रृंगी ऋषि का आश्रम भी स्थित है | आस्था एवं धार्मिक भावनाओं का प्रतीक यह स्थल लोगों को आकर्षित करता है | यहाँ पर लगभग 350 सीढ़ियों की मदद से पर्वत की चोटी पर पहुँचने पर आसपास का मनोरम दृश्य दिखाई पड़ता है |

सोंढूर डैम

अरसीकन्हार परिक्षेत्र के कक्ष क्रमांक 148, 149, 419 में कुल 1080.220 हेक्टेयर क्षेत्र में वर्ष 1978-79 में सिंचाई विभाग द्वारा इस बाँध का निर्माण किया गया है | इस बाँध की सिंचाई क्षमता लगभग 10000 हेक्टेयर कृषि भूमि है | इस बाँध का मनोरम दृश्य पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित कराता है | सिंचाई विभाग का विश्राम गृह भी यहाँ पर स्थित है | 

 


मेचका इको पर्यटन उद्यान

सोंढूर बाँध के नजदीक लगभग 10 हे. क्षेत्र में कक्ष क्रमांक 178 में पर्यटकों को वनस्पति जगत वन्यप्राणी एवं जैव विविधता से अवगत कराने हेतु इसका निर्माण वर्ष 2008 में किया गया है | जहाँ पर फुलवारी गार्डन,ट्रैफिक पाथ,बाल उद्यान , लक्ष्मण झूला आदि निर्मित हैं | 




 

 Muchkund Rishi

https://youtube.com/watch?v=PDLYnuILuYg&feature=share

मंगलवार, 27 सितंबर 2022

वन भैंसों का संरक्षण एवं संवर्धन: US टाइगर रिज़र्व में

 छत्तीसगढ़ राज्य पशु के रूप में सुशोभित वन भैंसों का एक अत्यंत महत्वपूर्ण प्राकृतीवास उदंती अभ्यारण एवं समीपस्थ वन क्षेत्र है | पूर्व में बहुतायत से पाया जाने वाला यह भव्य एवं बलिष्ठ प्राणी अब अँगुलियों पर गिनती योग्य रह गए हैं | इनके संरक्षण एवं संवर्धन हेतु वाइल्ड लाईफ ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया की सलाह अनुरूप उदंती अभ्यारण के अंतर्गत कक्ष क्रमांक 82 में रेस्क्यू सेंटर की स्थापना वर्ष 2006-07 में की गई है | इसमें एक मात्र मादा वन भैंसा को उनके जनवरी 2007 में जन्में पड़वे के साथ रखा गया था | इस मादा वन भैंसे से अब तक 05 नर भैंसे एवं एक मादा वन भैंसा का जन्म हो चूका है जिससे वर्तमान में वन भैंसे की कुल संख्या 11 है | 

 



बाघों के रहवास हेतु अनुकूल, Udanti Sitandi Tiger Reserve

 परिचय

बाघों के रहवास हेतु अनुकूल परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए वन एवं पर्यावरण भारत सरकार अपने पत्र क्रमांक 3-1/2003 पी.टी. दिनांक 05.08.2006 द्वारा उदंती एवं सीतानदी अभ्यारण क्षेत्र के 851.09 वर्ग कि.मी. कोर जोन एवं 991.45 वर्ग कि.मी बफर जोन, कुल 1842.54 वर्ग कि.मी. वन क्षेत्र को प्रोजेक्ट टाइगर के अंतर्गत लेने पर सैद्धांतिक अनुमोदन उपरान्त छ.ग. शासन की अधिसूचना क्रमांक - एफ 8-43/2007/10-02,रायपुर दिनांक 20.02.2009 द्वारा उदंती सीतानदी टाइगर रिज़र्व गरियाबंद का गठन हुआ | उदंती-सीतानदी टाइगर रिज़र्व का नाम उदंती अभ्यारण एवं सीतानदी अभ्यारण में प्रवाहित होने वाली नदी उदंती एवं सीतानदी के नाम पर रखा गया है |  

USTR Photos 

उदंती सीतानदी टाइगर रिज़र्व में मुख्यत: साल,मिश्रित वन एवं पहाड़ी क्षेत्रों पर बांस वन है | इसके अलावा कुछ क्षेत्रों पर सागौन के प्राकृतिक वन हैं,जिसमें मुख्यत: बीजा, शीशम, तिन्सा, साज, खम्हार, हल्दू, मुड़ी, कुल्लू, कर्रा, सेन्हा, अमलतास इत्यादि प्रजाति पाई जाति हैं | टाइगर रिज़र्व में विभिन्न प्रकार के औषधीय पौधे प्रचुर मात्रा में है और टाइगर रिज़र्व का क्षेत्र जैव विविधता से परिपूर्ण है |